Wednesday, May 8, 2024
Homeलोक कथाएँकैनेडा की लोक कथाएँएक मेरा एक तुम्हारा : कैनेडा की लोक-कथा

एक मेरा एक तुम्हारा : कैनेडा की लोक-कथा

Ek Mera Ek Tumhara : Lok-Katha (Canada)

एक बार दो छोटे छोटे बच्चे एक कब्रिस्तान में शाम के समय अपनी खेलने की गोलियाँ यानी कंचे गिन रहे थे। एक लड़के के पास सारे कंचे रखे थे और दूसरा उनमें से एक एक उठा कर बाँटता जा रहा था — “यह एक मेरा और यह एक तुम्हारा। यह एक मेरा और यह एक तुम्हारा।”

उसने अभी दो तीन बार ही ऐसा किया था कि एक कंचा पास में लगी तारों की जाली के उस पार बाहर की तरफ जा पड़ा। गिनने वाले ने कोई ध्यान नहीं दिया।

इतने में एक किसान उधर से गुजरा तो यह सुन कर बड़े पशोपेश में पड़ गया “यह एक मेरा और यह एक तुम्हारा।” उसने सोचा “इस कब्रिास्तान में यह क्या बँट रहा है।”

उसने जाली के उस पार देखने की काफी कोशिश की कि कौन क्या बाँट रहा है परन्तु उसे कुछ दिखायी ही नहीं दिया।

इतने में दूसरे लड़के को ध्यान आया कि एक कंचा तो बाहर चला गया था। वह बोला — “बाहर वाले का क्या होगा?”

पहले वाला लड़का बोला — “अरे हाँ, बाहर वाले को भी तो देखना है।”

जब किसान को कुछ भी दिखायी नहीं दिया तो उसने सोचा कि इस कब्रिस्तान में इस समय और कौन हो सकता है सिवाय भूतों और शैतानों के।

लगता है शैतान और फरिश्ते मिल कर यहाँ लाशों का बँटवारा कर रहे हैं। उनको मेरा भी पता चल गया है क्योंकि उनमें से एक ने पूछा था कि बाहर वाले का क्या होगा और दूसरे ने कहा था कि “अरे हाँ उस बाहर वाले को भी तो देखना है।”

वह डर गया और भागा भागा पादरी के पास पहुँचा और जा कर उसको सारी घटना सुना दी। पादरी को किसान की बातों पर विश्वास नहीं हुआ तो वह उस किसान के साथ साथ खुद भी उस जगह पर आया जहाँ यह सब हो रहा था।

पादरी ने भी अन्दर झाँक कर देखने की भरसक कोशिश की परन्तु उसको भी कुछ दिखायी नहीं दिया।

इसी बीच उन बच्चों का एक और कंचा तारों की जाली के बाहर जा पड़ा। अब बँटवारा आसान हो गया था।

पादरी ने भी सुना — “यह एक मेरा और यह एक तुम्हारा और बाहर वालों में से एक मेरा और एक तुम्हारा। बस अब बँटवारा ठीक हो गया।”

यह सुनते ही पादरी को भी लगा कि शैतान और फरिश्ते ने उसको भी देख लिया है और इसी लिये वे किसान और पादरी का भी बँटवारा कर रहे हैं।

अब पादरी से नहीं रहा गया। वह वहाँ से उलटे पैरों भाग लिया। किसान के भी बात समझ में आ गयी सो वह भी पादरी के पीछे पीछे भाग लिया।

बच्चे इस सबसे बेखबर थे। वे जब अपने सारे कंचे बाँट चुके तो उन्होंने बाहर से अपने दोनों कंचे उठाये, एक कंचा एक बच्चे ने लिया और दूसरा दूसरे बच्चे ने और अपने अपने घरों को चले गये।

(अनुवाद : सुषमा गुप्ता

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments