Thursday, May 9, 2024
Homeलोक कथाएँकैनेडा की लोक कथाएँटी जीन और बड़ी सफेद बिल्ली : कैनेडा की लोक-कथा

टी जीन और बड़ी सफेद बिल्ली : कैनेडा की लोक-कथा

Tee Jeen Aur Badi Safed Billi : Lok-Katha (Canada)

बहुत पुरानी बात है कि एक राज्य में एक राजा राज करता था। उसके तीन बेटे थे। एक का नाम था टी जीन, दूसरे का नाम था कौरडन ब्ल्यू और तीसरे का नाम था कौरडन वर्ट ।

एक दिन राजा ने अपने तीनों बेटों को बुलाया और कहा — “अब तुम तीनों बड़े हो गये हो इसलिये मैं अब यह देखना चाहता हूँ कि मेरे बाद तुम तीनों में से मेरा राज्य कौन सँभालेगा।

इसके लिये तुम लोगों को एक इम्तिहान पास करना होगा। तुम तीनों में से जो कोई भी मुझे सबसे बढ़िया घोड़ा ला कर देगा मैं उसी को अपना राज्य दूँगा।”

अब क्या था तीनों बेटे चल दिये दुनियाँ का सबसे बढ़िया घोड़ा ढूँढने। चलते चलते तीनों एक चौराहे पर आये और वहाँ से तीनों ने अपने अपने रास्ते अलग कर लिये।

अलग होने से पहले उन्होंने एक दिन पक्का कर लिया कि उस दिन वे लोग उसी जगह पर मिलेंगे।

जीन अपनी सड़क पर चलता गया और चलता गया और आखिर वह सड़क खतम हो गयी। पर वहाँ से एक कच्चा रास्ता जंगल की तरफ जाता था। जीन ने वही रास्ता पकड़ लिया और उसी रास्ते पर चल दिया।

आगे जा कर उसे एक फूस की झोंपड़ी दिखायी दी और साथ में दिखायी दी एक बड़ी सी सफेद बिल्ली जो चार मेंढकों के साथ पानी भर रही थी।

उसको यह सब देख कर बड़ा अजीब सा लगा सो वह छिप कर उनको देखने लगा। बिल्ली ने एक बड़े से मिट्टी के बरतन में पानी भरा और उन चारों मेंढकों से अलग हो गयी। अलग हो कर उसने उस बरतन के पानी में डुबकी लगा दी।

पर यह क्या? पानी में डुबकी लगाते ही वह बिल्ली तो गायब हो गयी और उसमें से एक बहुत सुन्दर राजकुमारी निकल आयी। इतनी सुन्दर राजकुमारी तो जीन ने पहले कभी नहीं देखी थी। राजकुमारी ने भी जीन को देख लिया तो उसने उससे पूछा — “तुम्हें क्या चाहिये राजकुमार?”

राजकुमार बोला — “मुझे एक बहुत बढ़िया घोड़ा चाहिये। हम लोग तीन भाई हैं। हमारे पिता ने कहा है कि जो कोई भी मुझे सबसे बढ़िया घोड़ा ला कर देगा मैं अपने बाद अपना राज्य उसी को दूँगा।”

राजकुमारी बोली — “कल सुबह मैं फिर से बिल्ली बन जाऊँगी तब तुम मेरे घर में जाना और वहाँ से मेरा सबसे अच्छा मेंढक ले जाना। जब तुम उसको ले कर अपने पिता के घर लौटोगे तो उस पर एक कंघा घुमा देना। अगले दिन वह देश का सबसे बढ़िया घोड़ा बन जायेगा।”

अगले दिन जीन ने बिल्ली के घर से उसका सबसे अच्छा मेंढक लिया और अपने घर वापस चल दिया। चलते चलते वह उसी चौराहे पर आया जहाँ से वह अपने दूसरे दो भाइयों से अलग हुआ था।

वह जब वहाँ पहुँचा तो उसके दोनों भाई अपने अपने बढ़िया घोड़ों के साथ उसका इन्तजार कर रहे थे। पर जीन के पास तो कोई घोड़ा था नहीं, उसके पास तो था केवल उसका मेंढक। जीन के भाइयों ने जब जीन को एक मेंढक के साथ आते देखा तो वे बड़ी कठिनाई से अपनी हँसी रोकते हुए बोले — “इस तरह पिता जी के सामने मत जाना नहीं तो मरोगे।” पर जीन उन दोनों के पीछे पीछे आता रहा।

उन्होंने फिर कहा — “तुम इस तरीके से हमारे पीछे पीछे मत आओ, यह हमारा अपमान है।”

“कोई बात नहीं।” कह कर जीन फिर भी उनके पीछे पीछे ही चलता रहा।

घर पहुँचते पहुँचते उनको शाम हो गयी सो उन दोनों भाइयों ने अपने अपने घोड़े अस्तबल में बाँध दिये और खुद वे सोने जाने लगे कि तभी जीन ने अपने पिता का कंघा अपने मेंढक पर घुमा दिया। उसके भाई बोले — “जीन, तुम पिता जी का कंघा तोड़ दोगे।”

जीन बोला — “कोई बात नहीं, मेरे पिता जी दूसरा कंघा खरीद सकते हैं।”

अगले दिन कौरडन ब्ल्यू और कौरडन वर्ट उठे और अपना अपना घोड़ा ले कर राजा के पास पहुँचे। राजा ने पूछा — “और टी जीन कहाँ है?”

वे बोले — “ओह वह? उसके पास तो केवल एक मेंढक है पिता जी।”

राजा बोला — “फिर भी, मुझे उसे देखना तो चाहिये ही न।”

इतने में टी जीन भी अपना घोड़ा ले कर वहाँ आ पहुँचा। उसका मेंढक देश का सबसे सुन्दर घोड़ा बन चुका था। उसकी गरदन पर चाँदी के बाल थे और पाँव में सोने के खुर थे।

उसे देखते ही राजा के मुँह से निकला — “ओह, कितना सुन्दर घोड़ा है टी जीन तुम्हारा। टी जीन तुम जीत गये।”

राजा फिर बोला — “ऐसा है कि राजा बनने के लिये तीन इम्तिहान पास करने पड़ते हैं। तो एक इम्तिहान तो हो गया तुम्हारा पर अभी दो इम्तिहान और बाकी हैं।

दूसरा इम्तिहान यह है कि जो कोई भी मुझे सबसे अच्छा हाथ का बुना कपड़ा ला कर देगा उसी को मेरा राज्य मिलेगा।” और तीनों राजकुमार एक बार फिर से चल दिये दुनियाँ का सबसे अच्छा हाथ का बुना कपड़ा लाने। पर इस बार पैदल नहीं बल्कि अपने अपने घोड़ों पर सवार हो कर।

तीनों फिर से उसी चौराहे पर आये और अपने अपने रास्तों पर चल दिये, उसी तरह से एक खास दिन पर मिलने का वायदा करके।

टी जीन अपनी फिर उसी झोंपड़ी के पास पहुँच गया। वहाँ वह बिल्ली अभी भी अपने चार मेंढकों के साथ पानी भर रही थी। जब बिल्ली का वह बड़ा मिट्टी का बरतन पानी से भर गया तो उसने उस पानी में डुबकी लगायी और उस दिन की तरह से वह बिल्ली एक बार फिर से राजकुमारी बन कर बाहर आ गयी। राजकुमारी ने राजकुमार से पूछा — “राजकुमार, आज तुम्हें क्या चाहिये?”

राजकुमार बोला — “आज मुझे सबसे बढ़िया हाथ का बुना कपड़ा चाहिये जैसा मेरे पिता ने पहले कभी न देखा हो।”

राजकुमारी ने फिर वही कहा — “कल जब मैं बिल्ली बन जाऊँगी तब तुम मेरे घर आना और मेरी छोटी सी सन्दूकची में पड़ा सबसे ज़्यादा भद्दा दिखायी देने वाला अखरोट ले जाना। घर पहुँच कर उसमें चाकू से एक चीरा लगा देना और वह 30 एल का संसार का सबसे बढ़िया हाथ का बुना कपड़ा बन जायेगा जैसा तुम्हारे पिता ने पहले कभी नहीं देखा होगा।”

राजकुमार अगले दिन उस बिल्ली के घर गया और उसकी छोटी सी सन्दूकची में से सबसे ज़्यादा भद्दा दिखायी देने वाला अखरोट निकाला और चल दिया।

तीनों राजकुमार फिर उसी चौराहे पर मिले और घर की तरफ चल दिये।

कौरडन ब्ल्यू और कौरडन वर्ट के पास तो बहुत सुन्दर सुन्दर कपड़े थे पर जीन के पास तो केवल एक भद्दा सा अखरोट था और वह भी उसकी जेब में रखा था तो वह तो किसी को दिखायी भी नहीं दे रहा था।

अगले दिन दोनों भाइयों ने अपने अपने लाये कपड़े राजा को दिखाये। राजा ने पूछा — “और टी जीन? वह कहाँ है?” दोनों बोले — “उसके पास तो हमने कुछ देखा नहीं।”

तभी टी जीन आया और वह अखरोट अपने पिता के हाथ में दे कर बोला — “पिता जी, इस अखरोट को मेज पर रख कर इसे चाकू से तोड़िये।”

राजा ने ऐसा ही किया तो वह 30 एल का संसार का सबसे बढ़िया हाथ का बुना कपड़ा बन गया।

ऐसा कपड़ा तो राजा ने पहले कभी नहीं देखा था। उसके मुँह से निकला — “वाह, कितना बढ़िया कपड़ा है।” इस तरह टी जीन इस बार भी जीत गया।

राजा बोला — “अब आखिरी इम्तिहान यह है कि जो कोई भी सबसे सुन्दर लड़की ले कर आयेगा यह राज्य उसी को मिलेगा। बस, तुम लोगों का यह आखिरी इम्तिहान है। इसके बाद अब और कोई इम्तिहान नहीं।”

तीनों राजकुमार एक बार फिर अपने अपने घोड़ों पर सवार हो कर अपने सफर पर रवाना हुए और फिर अपने पुराने रास्तों पर चल दिये।

टी जीन फिर से अपनी उसी पुरानी झोंपड़ी के पास पहुँचा। वहाँ वह सफेद बिल्ली अभी भी अपने चार मेंढकों के साथ पानी भर रही थी।

जब उस बिल्ली का वह बड़ा मिट्टी का बरतन पानी से भर गया तो उस बिल्ली ने उस पानी में डुबकी लगायी और वह पहले की तरह एक सुन्दर राजकुमारी बन गयी।

अब की बार टी जीन उस राजकुमारी को देख कर एक आह भर कर वहीं धम्म से जमीन पर बैठ गया। यह राजकुमारी उसको इससे पहले तो कभी इतनी सुन्दर नहीं दिखायी दी थी।

राजकुमारी ने फिर राजकुमार को देखा तो आर्श्चय से बोली — “राजकुमार, अब तीसरी बार तुम्हें क्या चाहिये?”

राजकुमार बोला — “मेरे पिता जी ने राजा बनने के लिये तीन इम्तिहान रखे थे। दो इम्तिहानों में तो मैं पास हो गया। अब यह मेरा तीसरा इम्तिहान है। मुझे अब संसार की सबसे सुन्दर स्त्री चाहिये। मुझे तो संसार की सबसे सुन्दर स्त्री तुम ही लग रही हो।”

राजकुमारी बोली — “अब तो मैं राजकुमारी बन चुकी हूँ, पर अब मैं हमेशा के लिये राजकुमारी तभी बनूँगी जब कोई राजकुमार मुझसे शादी करेगा।”

टी जीन बोला — “ठीक है। मैं करूँगा तुमसे शादी।”

राजकुमारी फिर बोली — “ठीक है। कल सुबह मैं फिर बड़ी सफेद बिल्ली बन जाऊँगी। तुम मेरे चारों मेंढकों को मेरी गाड़ी में जोत देना और फिर हम साथ साथ तुम्हारे राज्य चलेंगे।”

सुबह राजकुमार ने राजकुमारी को बिल्ली बनते हुए देखा। उसने राजकुमारी के चारों मेंढकों को गाड़ी में जोता, बिल्ली को अपने पास बिठाया और अपने महल की तरफ चल दिया।

पहले की तरह से उस तय की हुई जगह पर उसके दोनों भाई उसका इन्तजार कर रहे थे।

भगवान की कसम, उन दोनों के पास तो बहुत सुन्दर सुन्दर लड़कियाँ थीं। पर उन्होंने जब टी जीन की तरफ देखा तो वह एक बिल्ली के साथ चार मेंढकों से जुती हुई एक गाड़ी पर बैठा हुआ चला आ रहा था।

मन ही मन हँसते हुए वे दोनों भाई अपने महल की तरफ चल दिये। इस बार उन दोनों को पूरा भरोसा था कि अब की बार बाजी वे ही जीतेंगे।

अगले दिन दोनों भाई अपनी अपनी लायी हुई लड़कियों के साथ पिता के पास पहुँचे। राजा ने देखा कि उसके दोनों बेटे बहुत ही सुन्दर लड़कियाँ ले कर आये हैं।

राजा अपने दोनों बड़े बेटों को देख कर बहुत खुश हुआ पर हर बार की तरह जब उसने टी जीन को नहीं देखा तो उसके मुँह से निकला — “और टी जीन कहाँ है?”

वे दोनों बोले — “हमने तो उसके पास केवल एक बड़ी सी सफेद बिल्ली ही देखी है पिता जी।”

राजा फिर पहले की तरह ही बोला — “जो भी है पर मुझे उसे देखना तो चाहिये ही न?”

और लो, टी जीन भी अपनी सुन्दर राजकुमारी का हाथ पकड़े चला आ रहा था। राजा को अपनी आँखों पर भरोसा ही नहीं हो पा रहा था। राजा ने इतनी सुन्दर लड़की तो पहले कभी नहीं देखी थी।

और वे लोग जिस गाड़ी में बैठ कर आये थे वह गाड़ी भी बेजोड़ थी। उसमें जुते हुए चार घोड़े संसार के सबसे सुन्दर घोड़े थे।

तीनों भाइयों की उनकी लायी गयी लड़कियों से शादी कर दी गयी और टी जीन के सिर पर ताज पहना दिया गया।

(अनुवाद : सुषमा गुप्ता)

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments